रिवाज दुनियां के
एक लघुकथा
स्वरचित द्वारा अमित
तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर म.प्र.
बहुत समय से किशोर साहू
जी अपनी दुकान को नही खोल रहे थे, मोहल्ले में चर्चा बहुत
तेज थी; साहू साहब की दुकान तो जैसे सारे पडोस का ही एक बैठक केन्द्र हुआ करता था।
पर वे ना तो बीमार ही रहते थे और ना ही परिवार में किसी के अस्वस्थ्य होने की खबर
ही,थी सभी लोग उत्तम थे। मिश्रा जी से रहा ना गया सो पंडितायन से पूछ ही बैठे -
अरी जानती हो अपने किशोर साहू जी ने बहुत दिनों से दुकान नही खोली , पता नही क्या माजरा है तुमसे विमला देवी ने कुछ कहा
था......मतलब कुछ बताया हो तो, क्यों...... मिश्रा जी की
बात को बीच में काटती हुई पंडितायन बोल उठी क्या तुम्हें नही मालूम कि वो .... ‘हद करते हो नवरात्र
चल रही हैं और वे नौ दिन पूजा-पाठ करते हैं; और दशहरे की पूजा के बाद ही दुकान को
एकादशी से पुनः खोलते हैं .... या कि भूल गए यह रिवाज जिसे वो आज भी निभा रहे हैं;
तुम्हारे ही मित्र पं. रामधन तिवारी द्वारा पाँच साल पहले उनके बेटे रामेश्वर साहू
की दुर्घटना पर उनके गृहों की स्थितियों को लेकर उपाय स्वरूप बेटे की प्राण रक्षा और
दीर्घ जीवन की कामना स्वरुप /के लिए नौ
प्रकार के त्याग के तौर करने को कहा था; जिसे वे नौ कार्य दिवस तक अपने व्यापार को
न करके मात्रशक्ति की पूजा –अर्चना आदि ही करेंगें , हाँ मगर वो तो 5 वर्ष पूर्व की बात है मिश्रा जी ने ...सहमते हुए कहा। तब
पंडितायन बोली विमला बता रही थी तभी से किशोर साहू जी ने इसे हर वर्ष नवरात्र में
नौ दिन व्यापार नौ के दिनों को त्यागने के रिवाज और मातृ आराधना के पुनीत कार्य के
तौर पर इसे अपने परिवार में एक हमेशा एक रिवाज के तौर पर अपनाया और तिवारी जी को
गुरूपद देकर आज भी उस रिवाज को निभा रहे हैं।
रामेश्वर का स्वास्थ्य
अच्छा भी है और आज उसे पूरे शहर में कीर्ति मिली है; यही है सच्चे अर्थों में
ईश्वरीय शक्ति के सामने अर्थ, काम के त्याग के
पुरूषार्थ का सम्यक -रिवाज जो साहू परिवार हमेशा शारदीय नवरात्र में निभाता है और
अखण्ड ज्योति जलाकर दुर्गा की भक्ति में लीन हो कार्य दिवस के त्याग और ईश्वर
(मात्रशक्ति) के वंदन में अर्पित करने के अपने
रिवाज को निभाता है। अद्भूत हैं ऐसे दुनिया मे ; दुनिया के रिवाज़ ।
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर म.प्र.
दिनांक- 20.10.2020
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