सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

मद कैसा जीवन में ...? एक अतुकान्त कविता द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’ ग्वालियर , म.प्र.

 

मद कैसा जीवन में ...?

 एक अतुकान्त कविता द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर , म.प्र.

 

 

मद कैसा जीवन में

क्यों करू अभिमान

जबकि सबके प्राण समान

फिर भी मैं ऊॅचा तू नीच करे इंसान

धरती पर सबको जन्म मिला

प्रकृति ने सबको पाला है

किन्तु मनुष्य की बुद्धि ने

अकारण ही क्यों मद पाला है

बहुत बडी है यूं तो दुनियां

शून्य के कृष्ण विवर समान

आते जिसमें अंसख्य सृष्टि

आता जिसमें सारा जहान

आकाशीय गंगा की चितवन में

फैल रहा यू तो उर्ध्व प्रकाश

कितने ब्रह्माण्ड,

कितनी सृष्टि,

कितनी पृथ्वी,

कितने सूरज,

कितने द्वीप –महाद्वीप,

कितने देश,

कितने प्रदेश,

कितने शहर,

कितने नगर,

और महानगर

छोटे कस्बे- गांव

उन कस्बे -गांवों मैं का रूप लिए

मद से युक्त मनुष्य है

क्या उसकी सृष्टि के

सम्मुख है इसकी औकात

किन्तु इसका मद तो इतना जटिल है

आते नही इसमें

सृष्टि,

ग्रह

पृथ्वी,

नगर,

काल

जबकि जीवन की अंगडाई

चार कंधे ले मृत्यू की सच्चाई

देह जलाने जाती है

देह तो जल जाती पर

मद का अणुजला न पाती

हे कविमन अमितमय शून्यतम

फिर मद कैसा जीवनतम

 

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर म.प्र.

दिनांक- 26.10.2020

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...