ये उस समय की बात है
एक अतुकांत स्वरचित कविता
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
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ये तो समय की बात है,
ये समय-समय की बात है,
यह उस समय की बात है,
ये बात बदलते दौर की
ये बात अपनी या और की
ये बात समय के उस छोर की
जहाँ समय रुका न था
मोहक ‘चना’ मिला न था
बेहद घना स्वप्न रहा था
मगर अब समय कुछ और है
बीते हुए की तो जीत है
पर हारे हुए कुछ मीत है
पर आज चना भले मिल गया
पर दांत वो मेरा कहीं सो गया
वो ख्वाहिशें वो दौर अब कहीं खो गया
पर समय का पहिया कभी
रुकता नहीं यह तो भी
है एक फलसफा जीने का भी
दोस्त सब बदल गए,
या की समय की रेत में खो गए,
जो रह दिल में रह गए,
हाँ यह तो समय की बात है
हाँ समय- समय की बात है
हाँ यह सब समय के ही हाथ है
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द्वारा अमित तिवारी “शून्य“
ग्वालियर म.प्र.
05.10.2020
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