चित्र लेखन
‘प्रभु हाथ पकड़ मेरा,
मुझको अभय दे दो’
एक स्वरचित चित्र आधारित ‘प्रार्थना (कवित्त)’
रचनाकार अमित तिवारी “शून्य ''
प्रभु हाथ पकड़ मेरा, तुम मुझको अभय दे दो
प्रभु हाथ पकड़ मेरा, तुम मुझको शरण दे दो
संसार में तेरे ‘राम’ अब तक मैं अकेला हूँ
ना कोई सहारा है ना कोई किनारा है
टूटे सब भ्रम मेरे सब दर्प जलाये हूँ
मैं किंचित निज दुःख का स्वयं ही कारक हूँ
पर क्या ये सब तुम मुझको यूँ समझायोगे
हूँ बालक हूँ तेरा; क्या चरण न लगायोगे
जीवन में दंभ किया, कर्मो से छिपता आया हूँ
है लीक बिडम्बना ये कि मैं कुछ भी तो न पाया हूँ
न मित्र कोई मन का जिसको कह पायुं मैं
अब ज्ञान हुआ खुद का ; जब मन तुझ तन कर पाया मैं
पर क्या जीवन में अशेष को विशेष बना पायूँगा मैं
यूँ घुट घुट कर ही क्या मैं यूँ ही मिट जाऊंगा, मैं
अन्तर्मन की ध्वनि को अबतक कुछ न सुन पाया मैं
राग नहीं कोई; न द्वेष ही रहे मेरे निज मन मे
हाँ अब विश्वास जगा मेरा हाथ धरा तूने
हाँ अब विश्वास जगा मेरा हाथ धरा तुमने
हाँ हाथ धरा तुमने , प्रभु हाथ धरा तुमने
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ईश्वर को समर्पित एक
चित्र लेखन
चित्र आधारित
प्रार्थना
अमित तिवारी ‘शून्य’
11.10.2020
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