चेहरे और नयनों के भाव
एक चित्र लेखन : द्वारा अमित तिवारी “शून्य”, ग्वालियर म. प्र.
======================================
चेहरे के शाश्वत भाव में
गहरी कई बाते छिपती हैं
नेत्रों के अपलक खुलने में
प्रेम की परते दिखती हैं
नेत्रों की बहती धारा में
जीवन संताप छिपाती हैं
वो बन भार्या यु जीवन में
निज पत्नी धर्म निभाती है
यह जान के की तुम में
ही वो जीवन को पूर्ण मानती
है
तेरे जाने के इंतज़ार में
जीवन का नेह लुटाती है
क्या नयनो में क्या अधरों में
तेरा ही संताप छिपाती
है
पीड़ा –विरहन की तन में
मन में जीवन में आग लगाती
है
बदली में या की बसंत में
मिलने का राग जगाती है
मेरे नैना तड़पे यह सुन
की हैं तुमको आने में कुछ दिन
दिल की धड़कन भी है सुन्न
मेरा मन तन जीवन सब सून
----------------------------------------
द्वारा अमित तिवारी “ शून्य “
ग्वालियर म. प्र.
04.10.2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें